why bjp didn't get majority in loksabha election 2024
bjp apne Lakshya se itna door kyun rehgayi aye ham iske kuch Pramukh kaaranon aur iske upay ke baare me samajhne ka prayaaas karte hain
POLITICS
भारतीय जनता पार्टी 2014 से पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार चला रही है और 2019 मे भी सरकार ने पर्न बहुमत हासिल किया और सरकार वापिस से सत्ता मे आई । और सरकार ने इन दस सालों मे बहुत सारे ऐतिहासिक फैसले लिए जिसमे आधार कार्ड, नोटबंदी, धार 370 को हटाना , राम मंदिर मुद्दा का शांतिपूर्ण तरीके से होना, तीन तलाक खत्म करना , शौचालय, आवास जैसे कई सारी योजना के साथ साथ कुछ विवादित मुद्दे भी रहे जिसमे किसान एम एस पी को काम करना और अग्निवीर जैसे मुद्दे मे भी बहुमत होने के कारण सरकार अपनी मांगों को लेकर डंटी रही और इसके अलावा CAA NRC और एक कानून भी चर्चा मे रहा इन सबके बावजूद भी बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव मे खुद की सरकार बनाने मे नाकाम रही । तो चलिए कुछ प्रमुख कारणों के बारे मे जानते है


किसी को भी बीजेपी मे शामिल करना :- बीजेपी पिछले कुछ समय से लगातार ऐसे लोगों को पार्टी मे शामिल करती जा रही थी जो की बीजेपी के विचारधारा से विपरीत थे लेकिन किसी भी प्रकार के नैतिकता का ध्यान न रखते हुए लगातार बीजेपी मे शामिल किया जा रहा था । चाहे उस पर भ्रस्टाचार के आरोप हो, चाहे वो राम को गाली देता तो या कुछ भी इस कारण विरोधी बीजेपी को वाशिंग मशीन कहते थे की बीजेपी मे जाने से सारे पार धूल जाते है।
पार्टियों को तोढ़ना :- पिछले कुछ वर्षों मे बीजेपी ने अपने प्रभाव से सत्ता पर अपनी पकढ़ बनाने के के शरद पवार की एनसीपी और बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिव सेना को तोड़ दिया। एनसीपी टूटने के बाद शरद पवार इंडिया अलाइअन्स मे रह गए और अजित पवार बीजेपी मे शामिल हो गए । शिव सेना टूटने के बाद भी उद्धव ठाकरे इंडिया गठबंधन के साथ चले गए और एकनाथ शिंदे बीजेपी के साथ गए। और इन सब मे एक छवि बन गई की बीजेपी लोकल लीडर्शिप को तोड़ती है।
सरकारी तंत्र का पक्षपात :- बीजेपी लगातार एड और सीबीआई को विरोधियों को पकड़ने और उन पर किसी न किसी आरोप में जेल भेजना लगे लेकिन इन सब में खास बात यह थी कि आरोपी केवल विरोधी दल के ही थे ऐसा तो संभव नहीं कि जितने भ्रष्ट लोग हैं वह केवल विरोधी को पकड़ रहे हैं यदि भाजपा यह कहती है कि एड और सीबीआई दोनों स्वतंत्र रूप से कम कर रहे हैं और सरकार का इस पर कोई भी दबाव नहीं है तो इस हिसाब से बीजेपी का कोई भी नेता क्या भ्रष्ट नहीं है और इस पर एक प्रश्न चिन्ह उठ ही जाता है।
क्षेत्रीय नेताओं को किनारे करना :-बीजेपी इस बार लोकल लीडर को छोड़कर सत्ता के कुछ महत्वाकांक्षी या फिर बाहर से आए लोगों को टिकट बाटी जिसमें 110 के आसपास उम्मीदवार को टिकट दिया गया और केवल 69 लोग ही जीत पाए जबकि जो लोकल लीडर थे जिसमें महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश शामिल है उनको टिकट नहीं दिया गया और यह भी एक कारण है कि भाजपा बहुमत के आंकड़े है इतनी दूर रह गए
बिपक्षी नेताओं का दुष्प्रचार :- विपक्ष के नेताओं ने जोर-जोर से प्रचार किया कि यदि बीजेपी 400 सिटे लब आती है तो सरकार संविधान बदल देगी इसके अलावा यूपी में काफी जोर-जोर से फैलाया गया की एससी एसटी का आरक्षण को भी सरकार खत्म कर देगी इसके अलावा इसका भी प्रचार किया गया कि यदि बीजेपी इतने अधिक बहुमत के साथ सत्ता में आती है तो भारत में फिर कभी चुनाव नहीं होगा और यह किसी एक पार्टी ने नहीं पीएमसी कांग्रेस आम आदमी पार्टी और बाकी जो भी घटक दल थे सबने डर का माहौल बनाया जिससे कि बीजेपी का वोट दूसरी तरफ शिफ्ट हो गया
इन सब में एक बात तो साफ है की सरकार बहुत सारी चीजों में तानाशाही नीति को अपना आती है जो की बहुत ज्यादा अच्छी बात नही है। सरकार अक्सर अच्छे पैसे लेती है और बहुत सारे फैसले ऐसे भी हैं जिस पर यदि वह समाज की सुनते तो शायद वह फैसला नहीं दिए जाते लेकिन कई ऐसी जगह पर देखते हैं की सरकार केवल सिर्फ नेतृत्व का आधार पर फैसला लगातार लिए जाती है जबकि लोकल्स की बात को बहुत ज्यादा अनसुना भी किया जा रहा था कुछ चीज हैं जो केंद्र के हिसाब से अच्छी है और कुछ हमें स्थानीय स्तर पर भी देखने की जरूरत होती है जो की सरकार दोनों क्षेत्र पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है कई ऐसे मामले हैं जैसे कि देश या फिर विदेश में भारत का एक स्थान जो की बीजेपी के काल में काफी अच्छा रहा और हमारी छवि दुनिया भर के अधिकतर देशों में एक प्रभावशाली देश के रूप में उभरी लेकिन स्थानीय और केंद्रीय सत्ता में बहुत अंतर होता है और इसी कारण हम अक्सर देखते हैं की बहुत सारे ऐसे राज्य हैं जहां पर बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलती है लेकिन केवल केंद्र स्तर पर और जैसे ही बात राज्य स्तर पर आती है वहां की लोकल लीडरशिप अच्छे मार्जिन वोटो से जीत जाती है जबकि भाजपा की खाता खोलने की भी उम्मीद नहीं होती है यानी की बहुत सारे ऐसे जगह हैं जैसे की 2019 का चुनाव या फिर 24 के चुनाव में भाजपा दिल्ली में सातों की सातों सेट जीत गई झारखंड में बिहार में प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन वही बात करें एमएलए चुनाव की तो उसमें वोट नहीं ला पाती है क्योंकि अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में यह सुनने को मिलता है कि वह अपने नेता को नहीं बल्कि वोट मोदी को देते हैं लेकिन यह बहुत समय तक नहीं चलने वाला है क्योंकि 10 साल लगे 15 साल लगे या 20 साल आदमी को धीरे-धीरे समझ आता है कि लोकल लीडर का अच्छा होना जरूरी है क्योंकि वही समस्याओं का समाधान करेंगे और यदि सरकार इसी प्रकार आम आदमी के बातों को अनसुना कर सत्ता पर लगातार जमे रहने का प्रयास करती है तो आने वाली जनरेशन इसको बदल देगी और केंद्र सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए जिससे कि क्षेत्रीय स्तर की राजनीति में भी सुधार की जा सके और एक आम नागरिक गर्व से अपने नेता का चुनाव कर सके उसे इस बात का संदेश ना हो कि मैं क्षेत्रीय नेता का चुनाव कर रहा हूं या केंद्रीय का
