Dreamers dilemma story of a ideal man without execution
कहानी है एक विचार करने वाले dreamer की जो बहुत अच्छे ideas को सोचता है लेकिन आलस्य नकारात्मकता के कारण कभी जीवन मे apply नहीं करता है और जीवन का एक golden phase को केवल ड्रीम के चक्कर मे बर्बाद कर देता है।
LIFE LESSON
राहुल अभी 20 साल का है और उसने अभी अभी स्नातक की पढ़ाई पूरी की है और आगे कुछ बड़ा करना चाहता है इसीलिए उसने आम समाज से हटकर एक उधयमी का रास्ता चुनता है सबसे पहले उसने एक ऐप डेवलप करने का प्रयास करता है जिसमें वह लगातार सोचता है अपनी टीम बनाने का कोशिश करता है और इसी तरह विचारों का सिलसिला केवल मन में ही चलता रहता है असल जीवन में वह विचार करता है और बाकी का समय नए विचारों और किसी न किसी समय को बर्बाद करने वाले एक्टिविटी में पार कर देता है। दिन महीने में और महीने साल में भिड़ जाते हैं इस तरह करके वह करीब 2 साल इसी विचार में पर कर देता है। इसके बाद फिर वह नए विचारों में खो जाता है अब उसे ऐप डेवलप नहीं करना है। अब उसके मन में कॉफी शॉप खोलने कपड़े का ब्रांड लॉन्च करने जिस विचार आने लगते हैं जिस पर वह बहुत उम्मीद से पूरा करने की कोशिश करना चाहता है
लेकिन यह सब केवल विचार है जो कि उसके मन में ही आते हैं और कई महीना और सालों तक रहने के बाद मन में ही दम तोड़ जाते हैं लेकिन असल जीवन में अब तक उसने ना कुछ किया है ना ही किसी भी प्रकार के उद्यम का अनुभव उसके पास है ऐसे ही करते-करते उसके 4 साल 5 साल बीत जाते हैं अब उसके दोस्त अच्छी जगह नौकरी कर रहे हैं और प्रमोशन होने के बाद लोग अपने घर भी ले रहे हैं लेकिन राहुल जहां 20 साल में था 25 साल की उम्र में भी वह वहीं पर ही है
धीरे-धीरे वह सामाजिक कार्यक्रमों से भी दूर रहने लगता है अकेले रहने लगता है और नए-नए विचारों को सोता है और इस उम्मीद में की अब बस अच्छा वक्त आने ही वाला है लेकिन वह अब भी अपने विचारों पर कोई काम नहीं करता है विचार हैं की एक्सपीरियंस के आधार पर कल जो छोटा आधार था आज वह बड़ा आधार लेकर बैठा हुआ है लेकिन हो कुछ नहीं रहा है और इसी तरह वह धीरे-धीरे बहुत ही पीछे हो जाता है अब उसे खुद पर शर्म आने लगती है लोगों से बातचीत करना भी बंद कर देता है
और ऐसे ही उसके 9 साल कहां पर हो जाते हैं उसे पता ही नहीं चलता है21 साल की उम्र में उसने अपना करियर शुरू किया था और आज 30 साल की उम्र का हो गया है लेकिन उसने जीवन में ऐसा कुछ किया नहीं है जिसके लिए वह खुद पर गर्व कर सके अब धीरे-धीरे उसे यह अनुभव हो गया कि यदि उसने भी कुछ किया होता तो उसका भी आज कुछ हुआ होता ऐसे ही विचार करते हुए वह यूट्यूब खोलना है और उसमें देखा है कि उसकी एक मित्र ने एक स्टार्टअप किया है जिसके लिए उसे करोड़ का फंडिंग मिला है और इन सब चीजों को देखकर उसे लगता है कि यदि मैं शुरूआत किया होता तो आज मेरा भी कोई स्टार्टअप होता या फिर मैं आज जहां पर हूं वहां पर नहीं होता
उसे एक बात भली-भांति समझ आ गई कि मेरे विचार में कोई कमी नहीं थी ना ही मेरे विचार बुरे थे बल्कि मेरी निष्क्रियता मेरे असफलता का कारण बनी यदि मैं अपने विचार के साथ ठोस कदम उठाए होते तो आज मैं भी किसी अच्छे पद पर होता या फिर मेरा उद्यम आज इतना बड़ा हो चुका होता कि कई लोग उसे पर काम कर रहे थे इन सबको सोचता है पर साथ ही साथ अपने बीते हुए सालों को बर्बाद करने का पछतावा भी उसके मन में घूम रहा होता है और इन्हीं सब विचारों के साथ अब हुआ वही पुराने विचारों पर काम करना शुरू करता है इस बार वह केवल विचार नहीं करता है बल्कि काम भी करता है और इसी तरीके से बाकी कहानियों की तरह भी वह सनी से लेकर ऊपर उठना है और एक स्थान पर पहुंचता है जहां से फिर वह सफलता की सीढ़ी चढ़ने लगता है
इस कहानी का सर यह है कि जीवन में केवल सोचने मात्र से कुछ नहीं हो जाता है बल्कि उसे सोच को पूरा करने के लिए जितने मेहनत की जितने बुद्धि की मांग है उसको करना पड़ेगा केवल बुद्धि से भी कुछ नहीं होता और केवल परिश्रम से कुछ नहीं होता है और इन सब के अलावा यदि कोई उद्यम है तो उसको चलाने के लिए आवश्यक धन भी चाहिए होता है और जब तक सभी चीजों का अच्छी तरीके से मिश्रण नहीं हो जाता है उसकी सफलता कुछ प्रतिशत में संभावना से लगती है जिसकी पूरा होने के या ना होने की बराबर चांसेस होते हैं।
